इंटर्नशिप क्यों?
देखा जाए तो इंटर्नशिप करना हर क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए जरूरी भी है और अनिवार्य भी, लेकिन अगर हम बात करें मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म की तो इस क्षेत्र में बिना इंटर्नशिप किए आपको प्रेक्टिकल अनुभव का तो ज्ञान नहीं ही होगा, साथ ही आप इस क्षेत्र में उतरने से भी डरेंगे। इस क्षेत्र में थ्योरोटिकल और प्रेक्टिकल अनुभव के साथ-साथ आप में एक्स्ट्रा क्रिएटिविटी, लीडरशिप और अच्छी बोलचाल यानी फेंड्रली व्यवहार का होना बहुत जरूरी है।
द आउटरीच में आपको क्या क्या सिखाया जाता है
इंटर्नशिप में विद्यार्थियों को सामान्य स्तर का एक्सपोजर दिया जाता है। जितना किताबी ज्ञान उन्हें अपने पाठ्यक्रम के दौरान दिया जाता है, उतना ही इंटर्नशिप के दौरान प्रेक्टिकली करवाया जाता है, जिसका वे अनुभव भी करते है। उन्हें सीनियर रिपोर्टर के साथ रिपोर्टिंग के लिए भेजा जाता है, जिसमें उन्हें वहां से कोई खबर बनानी होती है और सूचनाओं को बटोरना सिखाया जाता है। इसके अलावा उन्हें साक्षात्कार लेना, न्यूज लिखने के बहुत से तरीकों को सिखाने के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण चीज डेडलाइन की अहमियत भी बताई और सिखाई जाती है। अगर प्रिंट मीडिया की बात करें तो उसमें अखबारों व मैगजीनों में किस तरह से पेजों को डिजाइन करना है, उसे बनाना है आदि सिखाने के साथ ही फोटोशॉप, प्रूफ रीडिंग आदि कार्य भी बारीकी से करवाया जाता है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक स्टोरी को जोड़ते हुए उसका फुल पैकेज कैसे बनाना होता है, यह भी सिखाया जाता है। इसके अलावा बहुत-सी छोटी-छोटी बातों को प्रेक्टिकली कराते हैं- जैसे अनुवाद, टाइपिंग आदि, जो आगे जाकर सबसे अधिक काम आता है।
इंटर्नशिप के बाद द आउटरीच आपको क्या मौका देता है?
अगर कोई इंटर्न अच्छे से काम करता है तो कंपनी उस पर ध्यान देती है और कभी-कभी उसे एक ट्रेनी के रूप में रख भी लिया जाता है और बाद में काम के प्रदर्शन के हिसाब से स्थायी तौर पर रख लिया जाता है।